गुरुवार, 17 अप्रैल 2014

नहीं मैं होती दीवानी....तू दीवाना नहीं होता....






न तुम आते न हम मिलते जमाना भी नहीं होता 
नहीं मैं होती दीवानी....तू दीवाना नहीं होता...!

न मिल पायी मुहब्बत तो हुए क्यूँ खामखाँ बिस्मिल 
नहीं है गैर कोई भी....मगर अपना नहीं होता...!

न जाने क्यूँ लगी रहती है दुनिया एक उलझन में..
अगर ऐसा नहीं होता...अगर वैसा नहीं होता...!

कहीं खोये हो तुम भी और हम भी कुछ परीशां हैं...
तुम्हारा दर्द दिखता है...बयां मुझसे नहीं होता...!

ज़माने ने तो देखीं हैं...मेरे चेह्रे पे दो आँखें... 
बहुत खामोश रहती हैं..अयाँ इनसे नहीं होता...!



१८/०४/२०१४ 



शनिवार, 12 अप्रैल 2014

एक चुप सी लगी है मेरे दोस्तों...





चोट खायी है दिल पर मेरे दोस्तों...
अक्ल फिर भी न आई मेरे दोस्तों...!!

उसकी गलियों के चक्कर लगाते रहे...
उसने मुड़ के न देखा मेरे दोस्तों...!!

मेरी दुश्वारियां उसने समझीं नहीं...
हो गयी दूर मुझसे मेरे दोस्तों...!!

रोज ख्वाबों में जन्नत बनाता रहा..
पर नज़र वो न आई मेरे दोस्तों...!!

क्या कहें..कहना चाहा न कह पाए हम 
जब वो थी मेरे पहलू मेरे दोस्तों...!!

चोट दिल पर लगी...एक उफ़ सी हुई...
फिर न जाने हुआ क्या मेरे दोस्तों...!!

आपकी बात 'पूनम' कहे भी तो क्या...
एक चुप सी लगी है मेरे दोस्तों...!!




मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

बांसुरी का राग मैं हूँ...!






गीत तुम आवाज़ मैं हूँ...!
पंख तुम परवाज़ मैं हूँ...!!

दूर तक फैली क्षितिज पर
लालिमा सी लाल मैं हूँ 
तान हो तुम बांसुरी की... 
बांसुरी का राग मैं हूँ...!

मैं नहीं हूँ तन अकेले 
साथ मन में तू भी मेरे 
मान मेरा है तुझी से 
बुद्धि का परिमाण मैं हूँ...!

तेरी सांसों सी सुगन्धित
तेरी अलकों में सुशोभित 
तेरी पलकों में बसी सी
एक मादक रात मैं हूँ...!

तुम मेरे मन में हो प्रियतम 
फिर करूँ क्यूँ मैं ये क्रंदन
हाथ में जब हाथ तेरा  
हर समय मधुमास मैं हूँ...! 

हो भले जीवन ये कंटक
चाह तेरी साथ जब तक 
भूल सारी व्याधियों को 
एक तेरे साथ मैं हूँ...! 



***पूनम***
३०/०१/२०११