वो लम्हा...
आज भी वहीँ पड़ा है
जहाँ तुम छोड़ कर गये थे..!
वो थी बारिश की एक शाम..
जब तुम आये थे
मुझे हमेशा के लिए अलविदा कहने..!
हमारे चेहरे को आँसुओं ने
बारिश से ज्यादा भिगो दिया था...!
लेकिन तुम्हारे आखिरी स्पर्श का एहसास
न बारिश धो पाई है और न आँसू..!!
अलविदा कहने के बाद..
तुमने मुड़ कर देखा ही नहीं..!
तुम्हारी छतरी की तरह...
मैं भी तुम्हारे इंतज़ार में
उस आखिरी एहसास के साथ
आज भी मैं वहीँ खड़ी हूँ...
जहाँ तुम छोड़ के गये थे..!!
***पूनम***
30/9/2014