मंगलवार, 30 सितंबर 2014

वो लम्हा.....






वो लम्हा...
आज भी वहीँ पड़ा है
जहाँ तुम छोड़ कर गये थे..!
वो थी बारिश की एक शाम..
जब तुम आये थे
मुझे हमेशा के लिए अलविदा कहने..!
हमारे चेहरे को आँसुओं ने
बारिश से ज्यादा भिगो दिया था...!
लेकिन तुम्हारे आखिरी स्पर्श का एहसास
न बारिश धो पाई है और न आँसू..!!
अलविदा कहने के बाद..
तुमने मुड़ कर देखा ही नहीं..!
तुम्हारी छतरी की तरह...
मैं भी तुम्हारे इंतज़ार में
उस आखिरी एहसास के साथ
आज भी मैं वहीँ खड़ी हूँ...
जहाँ तुम छोड़ के गये थे..!!

***पूनम***
30/9/2014


मंगलवार, 16 सितंबर 2014

मेरी तेरी एक जुबानी.......




इस जीवन की अजब कहानी...
                                              मेरी तेरी एक जुबानी !

आ जाती है याद तेरी जब...
                                        मुस्काऊँ....आँखों में पानी !

कतरा कतरा दिन है बीता...
                                           रौशन रौशन रात बितानी !

पीर फकीर ये कहते सबसे...
                                           ये दुनिया है आनी जानी !

तुमने मुझसे प्यार किया है...
                                         लेकिन मैं तेरी दीवानी !

नगमों की बरसात हुई है...
                                         फिर भी गीतों से अनजानी !

तेरी मेरी प्रेम कहानी...
                                    है दुनिया को मुझे बतानी !


दोस्त हुए सदियाँ हैं गुजरी...
                                           अब तक वो हमसे अनजानी !



मंगलवार, 19 अगस्त 2014

मेरी जान......







एक बार तुमने कहा था...
"मुझसे मिलने की एक ही शर्त है...
तुम्हारी जान मेरी ही होनी चाहिए.."
मैंने बड़ी जुगत लगाई...
लेकिन जान तुम्हारी न हो पायी...!
आज एहसास हुआ है कि
हमारी जान तो एक ही है...!
फिर भी इस बार अपनी जान
साथ ले ही आई हूँ...
और टाँग दी है
तुम्हारे ही कमरे में...
दीवार की ऊँची खूंटी पर...!
अब केवल प्रेम लेकर
एक कोने में बैठी हूँ...!
तुम्हें ज़रूरत हो जब भी
मेरी जान को...
खूंटी से उतार कर पहन लेना....!!
एकदम झक्कास लगोगे उस दिन...!!

   



***पूनम***



नीला.......








तुम किस फूल के नाम से
पुकारते हो मुझे...
ये तो मैं नहीं जानती !
लेकिन....
वो चम्पई रंग
जो सुना था तुमने,
तुम्हारे मुँह से
मेरा नाम सुनते ही
सारा का सारा
मेरे सुफैद गालों पर
उतर आता है यक ब यक !
और जानते हो.....
उस पल के लिए
मेरा नाम नीला से चम्पा हो जाता है....!



***पूनम***
22/07/2014




सोमवार, 18 अगस्त 2014

न जाने कैसी ये दीवानगी है.....



अजब सी राह पर ये ज़िन्दगी है
नहीं मंजिल मगर ये चल पड़ी है...!

हुआ वो इस तरह पैबस्त दिल में

नज़र आती नहीं मौजूदगी है...!

तेरी राहें हैं रौशन चाँदनी से...

मेरी राहों पे बस अब तीरगी है

कभी झाँको मेरी आँखों में आकर

न जाने कैसी ये दीवानगी है...!!

न पूछा आज तक तुमने कभी भी

ये 'पूनम' रात में क्यूँ जल रही है...!!



18/8/2014



शुक्रवार, 30 मई 2014

तुम्हारे लिए.....





उस रात जब चाँद 
मुस्कुराने की जुर्रत कर बैठा..
तब तुमने मेरी आँखें बंद दीं थीं
और कहा था कि मत देखो चाँद को...!
तुम्हें अच्छा नहीं लगता 
कि मैं किसी और को देखूं...!
जब पहाड़ों पर बारिश होती है
तुम मेरे इर्द गिर्द...
प्यार की बरसाती तान देते हो
तुम्हें पता होता है कि.. 
बारिश अब यहाँ होने वाली है..
तुम हर उस रौशनी से 
मुझे बचाने की कोशिश में लगे रहते हो...
जो तुम्हारे मेरे बीच आ जाती है...!
तुम हर उस पल को 
बर्फ सा जमा देना चाहते हो
जो हमने साथ साथ बिताया है...!
मुझे पता है...
इस बर्फ के पिघल कर 
फिर से पानी बनने के दौरान
तुम मुझे पल पल महसूस करना चाहते हो...!

***पूनम***
30/05/2014
( दिल्ली एअरपोर्ट...आज मौसम बहुत खराब है
और तुम्हारे अलावा कोई भी मेरे पास नहीं...)



सोमवार, 12 मई 2014

करूँ मैं क्या....मुझे आँसू दिखाना ही नहीं आता..




करूँ मैं क्या....मुझे आँसू दिखाना ही नहीं आता..
सबक सीखा गया तुझसे...सिखाना ही नहीं आता !

बड़ी बेदर्दियों से तुमने तोड़ा जिस तरह दिल को..
बहुत सी कोशिशें कीं पर...बनाना ही नहीं आता !

मुसलसल राह तेरे संग गुजरी तंग फिर भी..कुछ
सुकूं रहता तेरे संग...गर जमाना ही नहीं आता !

हमारे दरमियाँ अब फासले जो इस तरह से हैं,
मिटेंगे किस तरह हमसे...मिटाना ही नहीं आता !

कभी सोचा न था ये ज़िंदगी कुछ इस तरह होगी..
ज़माना भी सुने हमसे... फ़साना ही नहीं आता !

तुझे दें बद्दुआ अब हम...नहीं फ़ितरत हमारी है..
बुरी बातों को कहना और सुनाना ही नहीं आता !


***पूनम***
१२/०५/२०१४


गुरुवार, 8 मई 2014

आप जब से करीब आये हैं..



आप जब से करीब आये हैं..
गीत इस दिल ने गुनगुनाये हैं...!

मेरी आँखों में कुछ नमी सी है..
आप के अक्स झिलमिलाये हैं...!.

रात कुछ इस तरह हुई रौशन..
यूँ सितारे से टिमटिमाये हैं...!

हम बहुत देर तक रहे तन्हा..
आप आये तो मुस्कुराये हैं...!

रात 'पूनम' की आज आई है..
दिल पे अब आपके ही साये हैं...!


07/05/2014


गुरुवार, 17 अप्रैल 2014

नहीं मैं होती दीवानी....तू दीवाना नहीं होता....






न तुम आते न हम मिलते जमाना भी नहीं होता 
नहीं मैं होती दीवानी....तू दीवाना नहीं होता...!

न मिल पायी मुहब्बत तो हुए क्यूँ खामखाँ बिस्मिल 
नहीं है गैर कोई भी....मगर अपना नहीं होता...!

न जाने क्यूँ लगी रहती है दुनिया एक उलझन में..
अगर ऐसा नहीं होता...अगर वैसा नहीं होता...!

कहीं खोये हो तुम भी और हम भी कुछ परीशां हैं...
तुम्हारा दर्द दिखता है...बयां मुझसे नहीं होता...!

ज़माने ने तो देखीं हैं...मेरे चेह्रे पे दो आँखें... 
बहुत खामोश रहती हैं..अयाँ इनसे नहीं होता...!



१८/०४/२०१४ 



शनिवार, 12 अप्रैल 2014

एक चुप सी लगी है मेरे दोस्तों...





चोट खायी है दिल पर मेरे दोस्तों...
अक्ल फिर भी न आई मेरे दोस्तों...!!

उसकी गलियों के चक्कर लगाते रहे...
उसने मुड़ के न देखा मेरे दोस्तों...!!

मेरी दुश्वारियां उसने समझीं नहीं...
हो गयी दूर मुझसे मेरे दोस्तों...!!

रोज ख्वाबों में जन्नत बनाता रहा..
पर नज़र वो न आई मेरे दोस्तों...!!

क्या कहें..कहना चाहा न कह पाए हम 
जब वो थी मेरे पहलू मेरे दोस्तों...!!

चोट दिल पर लगी...एक उफ़ सी हुई...
फिर न जाने हुआ क्या मेरे दोस्तों...!!

आपकी बात 'पूनम' कहे भी तो क्या...
एक चुप सी लगी है मेरे दोस्तों...!!




मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

बांसुरी का राग मैं हूँ...!






गीत तुम आवाज़ मैं हूँ...!
पंख तुम परवाज़ मैं हूँ...!!

दूर तक फैली क्षितिज पर
लालिमा सी लाल मैं हूँ 
तान हो तुम बांसुरी की... 
बांसुरी का राग मैं हूँ...!

मैं नहीं हूँ तन अकेले 
साथ मन में तू भी मेरे 
मान मेरा है तुझी से 
बुद्धि का परिमाण मैं हूँ...!

तेरी सांसों सी सुगन्धित
तेरी अलकों में सुशोभित 
तेरी पलकों में बसी सी
एक मादक रात मैं हूँ...!

तुम मेरे मन में हो प्रियतम 
फिर करूँ क्यूँ मैं ये क्रंदन
हाथ में जब हाथ तेरा  
हर समय मधुमास मैं हूँ...! 

हो भले जीवन ये कंटक
चाह तेरी साथ जब तक 
भूल सारी व्याधियों को 
एक तेरे साथ मैं हूँ...! 



***पूनम***
३०/०१/२०११

गुरुवार, 20 मार्च 2014

या खुदा! वक्त कुछ ठहर जाये.....




वो मेरे दिल से क्यूँ उतर जाये...
खुद कहे और खुद मुकर जाये...!

वो ख़फ़ा है अगरचे मुझसे तो...
कैसे तकदीर ये संवर जाए...!

उसकी महफिल में बात जो बिगड़ी...
क्या करूं अब कि वो सुधर जाये...!

राह चलते हुए मिला मुझको...
वो समझ पाए न किधर जाये...!

कोई आया नहीं यहाँ अब तक...
एक साया सा ही लहर जाए...!

उसने जाने की अब तो ठानी है...
या खुदा वक्त कुछ ठहर जाये...!

उलझने हद से बढ़ गयीं मेरी...
क्या करूं अब न वो  नज़र आये...!

उसका दिल क्यूँ कोई दुखाता है...
गम नहीं मुझपे जो गुज़र जाये...!

काश ! शब  लौट आये पूनम की...
चांदनी दर पे फिर बिखर जाए...!







गुरुवार, 16 जनवरी 2014

मेरे अपने......






इक खुशी तुझसे मिलने की
इक गम तुझसे बिछड़ने का...
कुछ ख्वाब हैं अनछुए से
और दर्द है टूट जाने का... 
जो नींद में भी नहीं आते 
इंतज़ार है ऐसे सपने का...
छू गया जो मुझको चुपके से
एक हाथ है कोई अपने का...
कोई मुझसे बात करता है
कोई मुझमें मुझ सा रहता है
है ये साथ मेरे अपने का...
है ये साथ मेरे अपने का...!!


***पूनम***




शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

कौन दुनिया में ऐसा...जिसे गम नहीं...





कौन दुनिया में ऐसा...जिसे गम नहीं...
एक तुम ही नहीं...एक हम ही नहीं ...!!

दे रहा था गली में...सदा देर से...
ऐसा आशिक...किसी को मिलेगा नहीं...!!

चाँद चमका तो था...बस ज़रा देर को...
तेरे चेहरे के आगे...टिकेगा नहीं...!!

ज़ुल्फ़ बिखरा दो...शाने पे मेरे अगर..
शाम हो जायेगी...दिन रहेगा नहीं...!!

आप महफिल में आये...बड़ी देर से..
अब ठहर जाइये...जाइयेगा नहीं...!!



गुरुवार, 9 जनवरी 2014

हम यहीं थे कभी...हम यहीं हैं अभी...!




वो उठाते नहीं...नाज़ नखरे कभी...
हम कहाँ जायेंगे...आ गए...बस अभी...!
जब कभी फिक्र हो तो बुला लीजिए..
हम यहीं थे कभी...हम यहीं हैं अभी...!

नींद मेरी उड़ा के वो पूछा किये...
आप सो जाइए...हम जगेंगे अभी...! 

नाम रोशन हुआ इस कदर है यहाँ..
छोड़ महफ़िल को ना जायेंगे हम कभी..

दोस्त कहते हो हमको...खफा तुम ही हो...
है बुरी बात...बदलो अभी के अभी...!!

अब इजाज़त हमें दीजिए बज़्म से...
हम मिलेंगे यहीं...शुक्रिया है अभी...!