तेरी छत पे था चमका एक तारा...
न जाने किस लिए तुमने
पुकारा..!
न था वो चाँद मेरा
आशना यूँ...
मगर तुमको भरोसा कब
हमारा..!
तुम्हारी राह पर नज़रें
बिछायीं...
कुसूर इतना ही था केवल
हमारा..!
जमाना देखता है जिसको हरदम..
वही महबूब होगा अब हमारा..!
निगाहों में कोई तो
ख्वाब आये...
कोई तो राज़दां हो अब हमारा..!