मंगलवार, 27 अगस्त 2013

मेरे अपने......



एक खुशी तुझसे मिलने की..
एक गम तेरे बिछड़ने का..
था एक दर्द रोने का..
था एक दर्द मुस्कुराने का..
कुछ ख्वाब अनछुए से..
था दर्द टूट जाने का.. 
जो नींद में नहीं आते.. 
इंतज़ार ऐसे सपने का.. 
छू गया जो मुझको चुपके से.. 
एक हाथ कोई अपने का.. 
कोई मुझसे बात करता है.. 
कोई मुझमें मुझ सा रहता है..
है जो साथ मेरे अपने सा.. 
है ये साथ मेरे अपने सा...!!



शनिवार, 24 अगस्त 2013

ये वो प्याला है जो आँखों से छलक जाता है...





कोई कुछ कहता नहीं...फिर भी बोल जाता है...
ये वो प्याला है जो आँखों से छलक जाता है...!!

साथ न रह के भी हर वक्त साथ रहता है...
चलते-चलते वो सरे-राह भी रुक जाता है...!!

अपनी पलकों से कभी मूँद कर मेरी आँखें 
अपनी आँखों से तु ही राह दिखा जाता है...!!

उसकी खुशबू से महक जाती है ये शोख हवा...
आसमां  और  भी  रंगीन  हुआ  जाता  है....!!

मेरे हमदम...मेरे साथी...मेरा अनजान सफर 
तेरे साये में यूँ गुज़रा.....गुज़रता जाता है....!!



***पूनम***
२४/०८/२०१३




बुधवार, 21 अगस्त 2013

मेरे रूप अनेक....


                                                     (मैंने ही उतारी ये तस्वीर भी....)



आज पूरा हूँ तो कल 
थोड़ा कम हो जाऊंगा...
फिर उसके बाद और कम....
धीरे धीरे घटता ही 
जाता हूँ मैं...!
लेकिन फिर भी पूरा ही
रहता हूँ मैं तो..!
तुम तक वापस आने के लिए 
मुझे कई रूप बदलने होते हैं...! 
तुम्हारे अँधेरे-उजाले...
मुझसे ही हैं...!
तुम्हारे दर्द के साथ घटता हूँ...
तुम्हारे प्यार के साथ बढ़ भी जाता हूँ...!
सब का मैं ही तो साक्षी हूँ....!!
हूँ न......!!!


आज की रात कुछ अजीब है...!
आज की बात भी अजीब है..!!

अभी अभी...
बंगलोर से...
२१/८/२०१३ 


सोमवार, 19 अगस्त 2013

हर रिश्ता.....एक कोशिश.....




तन की आवश्यकता हो तो...
कहीं भी पूरी की जा सकती है...
किन्तु इंसान एक ऐसा प्राणी है जो...
भावनात्मक तौर पर जुड़ना चाहता है...
वर्ना उसका हर रिश्ता समझौता है..! 
नज़दीक रह कर भी.. 
आदमी आदमी को नहीं पहचान पाता !
हाथ मिलते हैं....
शरीर भी मिलते हैं....!
पर दिल.....???
दिल नहीं मिलते !                                               
अगर फूल में रंगत हो, 
कोमलता हो,ताज़गी हो 
लेकिन खुशबू न हो...
तो वो फूल कैसा....????
संबंधों में मधुरता...
एक-दुसरे के लिए सम्मान ज़रूरी है 
तभी सम्बन्ध फलते फूलते हैं...
और ताउम्र चलते भी हैं...! 
झूठ, दंभ, दिखावा, बड़बोलापन 
और अपशब्दता... 
किसी भी सम्बन्ध को 
बेवक्त और बेमौत मारने के लिए काफी है....!!


***पूनम***




रविवार, 4 अगस्त 2013

जाना कहाँ है......












अभी हम ने जहाँ देखा कहाँ है 

मिरे पहलू में दिल है जी कहाँ है...!


तुम्हें हम याद करते ही रहे हैं

तुम्हें हम याद हों ऐसा कहाँ है...!


कभी उस आँख में बस हम बसे थे..

नज़ारे हों वही..... ऐसा कहाँ है...!


हमारा दिल तुम्हारा आशियाना

मगर अब तू यहाँ रहता कहाँ है...! 


कभी आओ हमारे पास गर तुम

यहीं रह जाओगे जाना कहाँ है...!