मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

"चलो इक बार फिर से............................."


 


किसी भी याद को
जेहन से निकालना आसान नहीं...!
यादें ही जिंदगी को
आसान करती हैं
और ये ही हैं जो
जीना भी मुहाल करती हैं...
अब इंसान इनको
अपने से कैसे अलग करे...!
किसी अजनबी से
रिश्ता बनाना जितना आसान है
उतना ही दुरूह है
स इंसान से रिश्ता बनाना
जो आपको कुछ या ढेर सी
खट्टी मीठी यादों के साथ
छोड़ गया हो.....!
और फिर एक दिन
एकाएक आपके सामने
खड़ा हो जाता है फिर से
नई उम्मीद से रिश्ता बनाने के लिए...!
किसी को कहना या बताना
बड़ा ही आसान होता है
लेकिन जब खुद पे
ऐसा वक्त आ जाये तो
सारी बातें दरकिनार हो जाती हैं...!
एक ऐसा इंसान
जो आपकी जिंदगी में सबकुछ 
या बहुत कुछ रहा हो...
उससे एक अजनबी की तरह 
पेश आना बड़ा मुश्किल होता है... !!
फिर ये गाना और भी बेमानी हो जाता है...
"चलो इक बार फिर से............................."



 

मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

तुम आये तो.....







तुम क्या आये...
फिर गालों पे चटकीं कलियाँ...
तुम क्या आये...
फिर बालों में कुछ ख़म उभरे...
तुम क्या आये...
फिर बिन पायल पाजेब बजी...
तुम क्या आये...
आकाश से ज्यूँ चंदा उतरे...
तुम आये तो..
कुछ महकी महकी हवा चली...
तुम आए तो....
फिर अलसाई सी दूब जगी...
तुम आये तो...
कुछ गुमसुम से ज़ज्बात हँसे...
तुम आये तो.....
जो सोये थे...एहसास जगे...

तेरे आने से सब कुछ है....
तू है...
मैं हूँ.....
मेरा रब है....!!




बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

बेकरारी में दे करार...वो बहार हो तुम.......







बहुत दिनों से मुझे इंतज़ार था जिसका
मेरे जीवन की वही वस्ल-ए-बहार हो तुम !

मेरे लबों पे आ के ठहर गयी जो अब तक
वही हंसी हो ,वहीँ नज़्म और ख्याल हो तुम !

यूँ मेरी जिंदगी पहले भी रही शाइस्ता
शाइस्त-ए-कलाम हो,मेरे अल्फाज़ हो तुम !

मैं दुनिया में रहूँ....या दूर रहूँ दुनिया से
अलहदा रह के भी इस तरह मेरे पास हो तुम !

न जाने क्या हुआ,और क्यूँ हुआ,मैं क्या जानूँ
मेरी नज़र में, मेरे दिल में, मेरे पास हो तुम !

तुम मुझसे दूर रहो....मैं रहूँ जुदा तुमसे
बेकरारी में दे करार...वो बहार हो तुम....!


हैप्पी वेलेंटाइन.....
आपको....
आपको.....
आप सभी को......




रविवार, 10 फ़रवरी 2013

नज़रें......








शम्मा जब दिल में जले और हो उजाला हर तरफ....
यार की ऐसी नज़र हो जाये तो क्या कीजिये....!!

उस नज़र के लाख सदके जो उठे जानिब मेरी...
गर रहे न कुछ खबर खुद की तो फिर क्या कीजिये...!!

उस गली से हम भी गुजरे थे कई शाम-ओ-सहर...
कोई भी खिड़की नहीं खुलती तो फिर क्या कीजिये...!!

हम तो सदियों से तेरी आवाज़ को तरसे सनम...
तेरी ही आवाज़ हो खामोश तो क्या कीजिये....!!

मेरी नज़रें जब कभी नज़रों से मिल जाये तेरी  
और झुक जाये यूँ ही शरमा के तो क्या कीजिये...!!






बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

ख़्वाब......





जो शख्स अश्कों को आँखों में थाम लेता है
उसकी आँखों में ही उसकी पूरी जिंदगानी है...!

सांस थम थम के जब भी कभी चलती है
हर एक सांस में बस एक ही कहानी है...!

तेरे दर पे भी कभी आ के कोई ठहरा था
नयी है बात....मगर हो गयी पुरानी है.....!

तू अपने ख़्वाबों में मशगूल नहीं देख सका
उसके ख़्वाबों की फकत एक तू निशानी है.....!

ख़्वाब को चाहे कोई कितना दबा ले लेकिन
बिखर गए तो समझो खत्म जिंदगानी है...!


***पूनम***
आज और अभी...