बुधवार, 23 जनवरी 2013

हसरतें......






हसरतें....हसरतों से पूरी हों
फिर भी कुछ हसरतें अधूरी हों...!!

तेरी चौखट हो तेरा रहम-ओ-करम
जो नवाजिश हो.....तेरी पूरी हो....!!

बद्दुआ बन गई दुआ अब तो
हर दुआ में असर ज़रूरी हो.....!!


जिंदगी यूँ ही कुछ नहीं देती
चाहतें दिल में जब अधूरी हों....!!


मेरे चेहरे को दे दीं मुस्कानें...
अब तेरी ये दुआ भी पूरी हो...!!



8 टिप्‍पणियां:

  1. इबादत के रस में डूबी सुंदर रचना..

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  2. वाह...
    बढ़िया ग़ज़ल पूनम जी...

    अनु

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  3. दुआएं अक्सर कुबूल भी हो जाती हैं. सुंदर गज़ल.

    आपको गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनायें.

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