शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013

नहीं मेरे हमदम...नहीं...अब नहीं...!!





करो मुझसे उल्फत...ये किस्मत नहीं..
तुम्हें छोड़ दें...हममें हिम्मत नहीं..!!

तेरे दर पे आए हुए हैं सनम...
करूँ बंदगी...अब ज़रूरत नहीं...!!

चले जा रहे हैं तेरी बज़्म से...
सुकूं से रहें...इतनी कूबत नहीं..!!

हमें है उन्हीं से उम्मीदे वफ़ा...
जिन्हें अब तलक हमसे उल्फत नहीं...!!

निभाया है हमने अभी तक जिन्हें...
उन रिश्तों में अब वो मुहब्बत नहीं...!!

बनी बेबसी जिसकी कमजोरियाँ...
किसी से करें वो शिकायत नहीं...!!

सितमगर कहूँ या कहूँ दिलरुबा...
तू कातिल तो है पर कयामत नहीं..!!

अजब तेरा रंग है...गज़ब ढंग है...
खरी तेरी बातें...मुरव्वत नहीं...!!

वो देखें नजाकत हसीनों में अब...
नज़र में रही उनके ताकत नहीं...!!

कई बार जा के पलट आये हम..
नहीं मेरे हमदम...नहीं...अब नहीं...!!


२६/१२/२०१३




रविवार, 10 नवंबर 2013

मगर हम कुछ नहीं कहते....





हुई तौहीन उल्फत में...मगर हम कुछ नहीं कहते...
नहीं हमसे मुखातिब वो...मगर हम कुछ नहीं कहते...!

कहा कुछ भी नहीं हमने...नज़र उनकी तनी क्यूँ है...
वफ़ा उनको नहीं आती...मगर हम कुछ नहीं कहते..!

वो गैरों से मिलाते आँख हैं...यूँ तो भरी महफ़िल
चुराते आंख वो हमसे...मगर हम कुछ नहीं कहते..!

यूँ उनकी बेवफाई के...यहाँ चर्चे नहीं हैं कम
हमारा दिल भी माने है...मगर हम कुछ नहीं कहते..!

कभी वो बेवफा...बैठा था मेरी बज़्म में आ कर
जुबां चाहे कहें हम कुछ...मगर हम कुछ नहीं कहते..!



***पूनम***





शनिवार, 2 नवंबर 2013

एक रिश्ता.....








शब्द कहीं खो से जाते हैं
और जुबां चुप हो जाती है
जब भी कहना चाहा कुछ भी
सामने तुम चुपचाप खड़े हो जाते मेरे
आंख झुकी चेहरे पे कल की मायूसी भी
कह जाती है मुझसे सब कुछ 
जो कुछ कहना चाहा तुमने 
लेकिन न कह पाए अब तक
बोलो इसको क्या मैं बोलूं ?
न कह कर भी...
न सुन कर भी...
ये जो रिश्ता है अनजाना 
हम दोनों का...
ये ही सब कुछ कह जाता है !!


***पूनम***


गुरुवार, 17 अक्तूबर 2013

.ज़रूरी तो नहीं.....





मिट रहा था जो मेरे खातिर...फरेबी था बड़ा 
इश्क हो मुझसे उसे भी....ये ज़रूरी तो नहीं...!

जो सजा लेते हैं अपनी मुस्कुराहट झूठ ही
सच ही होगा दिल में उनके...ये ज़रूरी तो नहीं...!

आज का ये वक्त..ये महफ़िल...समां...रंगीनियाँ
हों मगर तेरे ही दम से....ये ज़रूरी तो नहीं...!

मौत मेरे नाम से बस...आज यूँ शरमा गयी...
आ के ले जाये मुझे ही...ये ज़रूरी तो नहीं...!

थी खिज़ां की गर्मियां नज़दीक दामन से मेरे...
पर जला दें आशियाँ मेरा...ज़रूरी तो नहीं...!

अब नहीं हैं खैरियत मेरी ज़माने में यहाँ
आप भी माने मेरी बातें...ज़रूरी तो नहीं...!




मंगलवार, 8 अक्तूबर 2013

कुछ तो है....






कुछ न कुछ बात तो हुई होगी
वो खफ़ा यूँ न हो गयी होगी...!

आज पलटा नक़ाब-ए-रुख उसने...
चाँदनी दिल में जल गयी होगी...!

चाँद चुपचाप कह गया है कुछ,
चांदनी मुँह छुपा गयी होगी...!

मैंने ज्यादा कहा नहीं कुछ भी...
फिर भी तबियत मचल गयी होगी...!

ज़ुल्फ़ सुलझा रहा है हाथों से...
उसकी कंघी ही खो गयी होगी...!

दाद दे दी है उसको इतनी सी...
कि उसकी भूख मर गयी होगी...!

आते आते लगी है देर हमें...
शाम-ऐ-फुरकत है ढल गयी होगी...!



शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

तेरी छत पे था चमका एक तारा...



तेरी छत पे था चमका एक तारा...
न जाने किस लिए तुमने पुकारा..!

न था वो चाँद मेरा आशना यूँ...
मगर तुमको भरोसा कब हमारा..!

तुम्हारी राह पर नज़रें बिछायीं...
कुसूर इतना ही था केवल हमारा..!

जमाना देखता है जिसको हरदम.. 
वही महबूब होगा अब हमारा..! 

निगाहों में कोई तो ख्वाब आये...
कोई तो राज़दां हो अब हमारा..!





मंगलवार, 24 सितंबर 2013

ख्वाहिश.....




नज़र की ख्वाहिश का दिल बीमार था रोता रहा..
रात भर  आँखों  से .... तेरा  इंतजार होता रहा..!!

चाँद कब से सो रहा था बादलों की ओट में..
आँख मेरी  नम हुई जब साथ वो रोता रहा..!!

बज़्म मेरी थी मगर था जिक्र तेरा हर तरफ..
थे  बहुत बीमार....तेरा फिक्र ही होता रहा..!!

याद के झोंकों ने जब भी कर दिया गाफिल हमें..
आसमां  का  इक  सितारा  साथ  में  रोता रहा..!!

अब फलक से लौट के आवाज़ भी आती नहीं..
कौन  है  बेबस  मेरी  आवाज़  पे  सोता  रहा..!!

थीं तो यूँ बातें बहुत 'पूनम' बताने  के लिए..
रात भर बस एक तेरा जिक्र ही होता रहा..!!






शनिवार, 21 सितंबर 2013

तुम्हारी छत पे चमका एक तारा....








तुम्हारी छत पे चमका एक तारा.. 
बताओ तो उसे.. किसने पुकारा
भला कब था हमारा आशना वो मगर तुमको भरोसा कब हमारा
निगाहों में कई हैं... ख्वाब आये नहीं है राज़दां........कोई हमारा
हमारा प्यार...... तेरा मुन्तजिर है तुम्हीं समझे......नहीं कोई इशारा..
ज़माने में तुम्हें....... ढूंढा किये हैं पता पूनम कोई.... तो दे तुम्हारा



रविवार, 8 सितंबर 2013

नाम जब भी तेरा लिया मैंने....





नाम जब भी तेरा लिया मैंने..
खुद से बदला सा इक लिया मैंने..

कोशिशें की न भूल पाई पर
खुद को नाहक़ थक़ा लिया मैंने...

अब मुहब्बत की क़ैद में हूँ मैं
खुद को आज़ाद कर लिया मैंने...

ज़िंदगी शाद हो गई गोया
तुझको खुद में छिपा लिया मैंने...

यूँ तो बदनाम है तेरी 'पूनम' 
पर मज़ा इस में भी लिया मैंने...


***पूनम***

सोमवार, 2 सितंबर 2013

हम अपना हाल उनको बताने से रह गए...



हम अपना हाल उनको बताने से रह गए...
आई जुबां पे बात  सुनाने  से रह गए...!!

उनको थी ये खबर कि मेरा दिल उदास है...
इस बार वो नज़र में  गिराने से रह गए...!!

थी तेज धार यूँ तो उनकी नश्तर-ए-जुबां...
लेकिन मैं बच गयी...वो चुभाने से रह गए...!! 

वो बेईमान भी...थी वफ़ा की उन्हें  कदर...
लेकिन वफा वो मुझसे निभाने से रह गए...!!

सोचा था दिल की बात बताऊँ उन्हें मगर...
हम अपने ही एहसास जुटाने से रह गए...!!

कर के उजाड़ दिल मेरा एहसास ये हुआ...
वो अपना ही सामान सजाने से  रह गए...!!

हमने सजाया दिल को उनके ही रिवाज़ से...
अफ़सोस था उन्हें...वो जताने से रह गए...!!

यूँ तो हुए हैं और भी कुछ आशना-ए-दिल...
'पूनम' तुझे ही दिल में बिठाने से रह गए...!!



***पूनम***



मंगलवार, 27 अगस्त 2013

मेरे अपने......



एक खुशी तुझसे मिलने की..
एक गम तेरे बिछड़ने का..
था एक दर्द रोने का..
था एक दर्द मुस्कुराने का..
कुछ ख्वाब अनछुए से..
था दर्द टूट जाने का.. 
जो नींद में नहीं आते.. 
इंतज़ार ऐसे सपने का.. 
छू गया जो मुझको चुपके से.. 
एक हाथ कोई अपने का.. 
कोई मुझसे बात करता है.. 
कोई मुझमें मुझ सा रहता है..
है जो साथ मेरे अपने सा.. 
है ये साथ मेरे अपने सा...!!



शनिवार, 24 अगस्त 2013

ये वो प्याला है जो आँखों से छलक जाता है...





कोई कुछ कहता नहीं...फिर भी बोल जाता है...
ये वो प्याला है जो आँखों से छलक जाता है...!!

साथ न रह के भी हर वक्त साथ रहता है...
चलते-चलते वो सरे-राह भी रुक जाता है...!!

अपनी पलकों से कभी मूँद कर मेरी आँखें 
अपनी आँखों से तु ही राह दिखा जाता है...!!

उसकी खुशबू से महक जाती है ये शोख हवा...
आसमां  और  भी  रंगीन  हुआ  जाता  है....!!

मेरे हमदम...मेरे साथी...मेरा अनजान सफर 
तेरे साये में यूँ गुज़रा.....गुज़रता जाता है....!!



***पूनम***
२४/०८/२०१३




बुधवार, 21 अगस्त 2013

मेरे रूप अनेक....


                                                     (मैंने ही उतारी ये तस्वीर भी....)



आज पूरा हूँ तो कल 
थोड़ा कम हो जाऊंगा...
फिर उसके बाद और कम....
धीरे धीरे घटता ही 
जाता हूँ मैं...!
लेकिन फिर भी पूरा ही
रहता हूँ मैं तो..!
तुम तक वापस आने के लिए 
मुझे कई रूप बदलने होते हैं...! 
तुम्हारे अँधेरे-उजाले...
मुझसे ही हैं...!
तुम्हारे दर्द के साथ घटता हूँ...
तुम्हारे प्यार के साथ बढ़ भी जाता हूँ...!
सब का मैं ही तो साक्षी हूँ....!!
हूँ न......!!!


आज की रात कुछ अजीब है...!
आज की बात भी अजीब है..!!

अभी अभी...
बंगलोर से...
२१/८/२०१३ 


सोमवार, 19 अगस्त 2013

हर रिश्ता.....एक कोशिश.....




तन की आवश्यकता हो तो...
कहीं भी पूरी की जा सकती है...
किन्तु इंसान एक ऐसा प्राणी है जो...
भावनात्मक तौर पर जुड़ना चाहता है...
वर्ना उसका हर रिश्ता समझौता है..! 
नज़दीक रह कर भी.. 
आदमी आदमी को नहीं पहचान पाता !
हाथ मिलते हैं....
शरीर भी मिलते हैं....!
पर दिल.....???
दिल नहीं मिलते !                                               
अगर फूल में रंगत हो, 
कोमलता हो,ताज़गी हो 
लेकिन खुशबू न हो...
तो वो फूल कैसा....????
संबंधों में मधुरता...
एक-दुसरे के लिए सम्मान ज़रूरी है 
तभी सम्बन्ध फलते फूलते हैं...
और ताउम्र चलते भी हैं...! 
झूठ, दंभ, दिखावा, बड़बोलापन 
और अपशब्दता... 
किसी भी सम्बन्ध को 
बेवक्त और बेमौत मारने के लिए काफी है....!!


***पूनम***




रविवार, 4 अगस्त 2013

जाना कहाँ है......












अभी हम ने जहाँ देखा कहाँ है 

मिरे पहलू में दिल है जी कहाँ है...!


तुम्हें हम याद करते ही रहे हैं

तुम्हें हम याद हों ऐसा कहाँ है...!


कभी उस आँख में बस हम बसे थे..

नज़ारे हों वही..... ऐसा कहाँ है...!


हमारा दिल तुम्हारा आशियाना

मगर अब तू यहाँ रहता कहाँ है...! 


कभी आओ हमारे पास गर तुम

यहीं रह जाओगे जाना कहाँ है...!


बुधवार, 10 जुलाई 2013







मैं एतबार के काबिल उसे समझती रही
तमाम राज़ दिल के उससे share करती रही...
हमारे दिल की कहीं कोई ग़लतफ़हमी थी 
वो झूठ बोल रहा था बड़े सलीके से...!!




***पूनम***



शनिवार, 25 मई 2013

तुम्हारे लिए....







ज़ज्बातों के भरे समंदर जाने कैसे...कब..सूख गए थे
मेरी इन आँखों में आँसू आते - आते  ऐसे रूठ गए थे !

इक तेरे  होने  ने जाने..क्या-क्या दे डाला मुझको है 
हरसिंगार खिले चेहेरे पे....जो  पहले सूख  गए  थे !

एक अनजानी खुशबू मेरे हर सू ऐसी बिखर  गयी जब
अपने से भी लगे अजनबी....जब अपने भी गैर लगे  थे !


***पूनम***




सोमवार, 20 मई 2013

ख्वाब हो तुम या हकीकत....



जब भी छू लेती हूँ खाबों में तुझको मैं कभी..
हाथों  से  मेरे देर  तक तेरी  खुशबू  आए...!

दूर  से  भी तेरी आवाज़  मैं  सुन लेती हूँ.
जब कभी तू मुझे चुपके से बुलाने आये...!

मेरी  आँखों में  ये आँसू नहीं  हैं...पानी  है..
एक सूरत है जो हरदम इसमें झिलमिलाये...!

मेरे अल्फाज़ कभी सुन सके...तू मेरी जानिब
लफ्ज़ से तू नहीं आँखों से दिल में उतर जाये...!


रविवार, 14 अप्रैल 2013

उसकी नज़र......










उनसे नज़र मिली तो हम बेहोश हो गए..
नज़रों ने किया वार था तलवार की तरह...!!

छुप छुप के कोई देखता रहता है रात भर..
गोया छुपा हो बदलियों में चाँद की तरह...!!

हमने तो उसको एक ज़माने से नहीं देखा 
दिल में वो रह रहा है मेरे यार की तरह....!!

मेरी ये मुस्कुराहटें उसकी उसकी नियामतें...
वो देखता है यूँ दिल-ए-बीमार की तरह...!!


आज और अभी...





सोमवार, 8 अप्रैल 2013

नज़रें......




नज़रों को झुका कर उसने
आँचल को दांतों से जब दबाया...
आँखों में एक शोखी सी उभरी...
मानो काली रात में 
पूरा चाँद नज़र आया..!
जो तीर चले उसकी नज़रों से...
घायल हुए हैं दिल बेचारे...
प्यार किसे कहते हैं जानां...
हम कहते हैं....
हम दिल हारे.....!!!



अभी अभी.....






बुधवार, 3 अप्रैल 2013

तस्वीर.....







मेरे ज़ेहन में है एक तस्वीर...
जो अभी बनानी बाकी है...!
और बचे हैं कुछ 
फैले फैले से ज़ज्बात...
कुछ उड़े उड़े से ख़यालात...
कुछ बदन की सनसनाहट...
दबे होठों की मुस्कराहट...
किसी के अनजाने ही 

एकाएक छू जाने भर से 
एक अजीब सी सिहरन...
आसमां में उड़ते बादलों सी
किसी चेहरे की रंगत...
और भी बहुत कुछ बाकी है....
रंग भरने के लिए....!
लेकिन इस सबके लिए 
बस्ते में बचे रंग....
बहुत कम पड़ जा रहे हैं....!!






मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

साथ साथ.....








गुज़र रही है मेरी उम्र इन ख्यालों में....
तू इन ख्यालों में न होता तो तू कहाँ होता....!!

मेरी तो शाम गुजरती है तेरी यादों में...
तू हकीकत में भी कुछ देर तो रुका होता...!!

तेरी फुरकत में बड़ी देर से उदास हूँ मैं...
जुदाई में मेरे हमदम तू भी रोया होता...!!

चलते चलते ये मेरी सांसें भी रुक जाती हैं...
तेरा ख्याल मेरे साथ साथ जब होता...!!




रविवार, 31 मार्च 2013

बस यूँ ही.....






सब जान कर भी मुझसे...अनजान बन रहा है...
वो कुछ छुपा रहा है...मेरे साथ चलते चलते...!!

कुछ कहते कहते ही वो...खामोश हो गया था...
नज़रें वो पढ़ रहा था...मेरे साथ चलते चलते...!!

कुछ फासले हुए थे......कुछ रंजिशें बढ़ी थी...
फिर वो संभल गया है...कुछ चाल चलते चलते...!!

एक बात मैंने पूछी....वो जवाब दे न पाया...
फिर भी वो कह गया कुछ...मेरे साथ चलते चलते...!!

कुछ राज़ की हैं बातें...कुछ आम सी हैं बातें...
मेरे काम की हैं बातें...सरे राह चलते चलते....!! 


बस अभी अभी...
३१/०३/२०१३



गुरुवार, 14 मार्च 2013

तुम्हारा साथ.....







तुम्हारे साथ थी मैं कल..
और मैं कल भी रहूंगी..
तुम्हारे साथ हूँ आज...
और हमेशा रहूंगी..
तुम्हारी सांसों में हूँ..
मैं धड़कन में रहूंगी..
तुम्हारी बात में घुल जाउंगी..
मैं बन कर मिश्री..
तेरी मुस्कान बन के 
मैं तेरे होठों पे बसूंगी...
तेरे हाथों की गर्मी से 
पिघलता है मेरा मन..
मैं बन के आँसू एक बार
फिर से पलकों में सजूंगी...!!

***पूनम***



बुधवार, 13 मार्च 2013

सपना.....




                               

सपने कभी सच भी होते हैं....???
हाँ...! 
और नहीं भी...!!
कभी वो दिन थे कि..
सपने में भी बढ़ा हाथ
थाम लेता था चुपके से कोई...
और आज.....
ये बातें सपना सी लगती हैं....!!



सोमवार, 4 मार्च 2013

अब तुमसे क्या कहें.....






बाँहों में बाहें डाले....देखा किये तुम्हें...
महसूस हो रहा था क्या...अब तुमसे क्या कहें...!! 

खामोश तुम थे और मैं गुमसुम सी हो गयी..
कुछ तुमने भी कहा तो था...अब तुमसे क्या कहें..!!

थी चांदनी फैली हुई...हर सू फिज़ा में यूँ..
थी रात भी खामोश कुछ...अब तुमसे क्या कहें...!!

गाती थी ये हवा....मेरे कानों में इस तरह...
आवाज़ थी तेरी ही...मगर तुमसे क्या कहें....!!

आ जाओ अगर आ सको...फिर से तुम एक बार 
बेचैन है  ये दिल मेरा...अब तुमसे क्या कहें...!!


***पूनम***



मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

"चलो इक बार फिर से............................."


 


किसी भी याद को
जेहन से निकालना आसान नहीं...!
यादें ही जिंदगी को
आसान करती हैं
और ये ही हैं जो
जीना भी मुहाल करती हैं...
अब इंसान इनको
अपने से कैसे अलग करे...!
किसी अजनबी से
रिश्ता बनाना जितना आसान है
उतना ही दुरूह है
स इंसान से रिश्ता बनाना
जो आपको कुछ या ढेर सी
खट्टी मीठी यादों के साथ
छोड़ गया हो.....!
और फिर एक दिन
एकाएक आपके सामने
खड़ा हो जाता है फिर से
नई उम्मीद से रिश्ता बनाने के लिए...!
किसी को कहना या बताना
बड़ा ही आसान होता है
लेकिन जब खुद पे
ऐसा वक्त आ जाये तो
सारी बातें दरकिनार हो जाती हैं...!
एक ऐसा इंसान
जो आपकी जिंदगी में सबकुछ 
या बहुत कुछ रहा हो...
उससे एक अजनबी की तरह 
पेश आना बड़ा मुश्किल होता है... !!
फिर ये गाना और भी बेमानी हो जाता है...
"चलो इक बार फिर से............................."



 

मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

तुम आये तो.....







तुम क्या आये...
फिर गालों पे चटकीं कलियाँ...
तुम क्या आये...
फिर बालों में कुछ ख़म उभरे...
तुम क्या आये...
फिर बिन पायल पाजेब बजी...
तुम क्या आये...
आकाश से ज्यूँ चंदा उतरे...
तुम आये तो..
कुछ महकी महकी हवा चली...
तुम आए तो....
फिर अलसाई सी दूब जगी...
तुम आये तो...
कुछ गुमसुम से ज़ज्बात हँसे...
तुम आये तो.....
जो सोये थे...एहसास जगे...

तेरे आने से सब कुछ है....
तू है...
मैं हूँ.....
मेरा रब है....!!