बुधवार, 17 अक्तूबर 2012

ख्वाब .... देखिये.... कुछ इस तरह.....!!









देखते हैं वो ख्वाब....फिर भी यकीं नहीं होता 
सोते और जागते....ख्वाबों से वो घबराते हैं...!

हम उनको कैसे इस बात का दिलायें यकीं 
हम अगर जिंदा रहेंगे तो...ख्वाब आते हैं...!

न उन्हें खुद पे यकीं...न ही अपने ख्वाबों पे 
पूरे न होंगे ख्वाब......आप  जो  घबराते  हैं  !

ख्वाबों पे भी कभी  'पूनम' किसी का बस है चला 
बंद  हो या हो खुली आँख.....ये आ ही जाते हैं...!!



बस अभी अभी...
***पूनम सिन्हा***