बुधवार, 29 फ़रवरी 2012

बड़ा ही हसीं है.........





तेरे आने का  धोखा भी  बड़ा  ही  हसींन  है
जानकर अजनबी  होना बड़ा  ही  हसीं  है !

तेरी  खामोशी न  जाने  कह जाती  है क्या  क्या
कहते कहते यूँ ही खामोश हो जाना बड़ा ही हसीं है !

मुझ  तक आने के वो जाने कितने  बहाने तेरे
और पास आकर तेरा दूर जाना बड़ा ही हसीं है !

मुझसे  मिलने के किये  थे  जो  वादे  तुमने  
खुद ही तेरा उनसे मुकर जाना बड़ा ही हसीं है !

शरमा  के वो  पलकों की  चिलमन उठाना  तेरा 
फिर घबरा के खुद नज़रे चुराना बड़ा ही हसीं है...!

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

नसीब-ए-जाँ.........





 


बूँद की किस्मत में गर होगा मोती बन जाना
तो इंतज़ार होगा किसी सीप को उसका भी... 

यूँ ही बाहों में नहीं थमता कोई किसी को
किसी नज़र को होगा इंतज़ार उसका भी...... 

आँख से टपका जो आंसू कोई तो पोछेगा 
कोई तो होगा नसीब-ए-दामन उसका भी... 

रात आगोश में ले लेती है यूँ तो सबको 
ज़हे नसीब कोई बांह हो बिछौना भी..... 

यूँ तो आते हैं औ जाते हैं मुसाफिर कितने 
कोई दम भर जो ठहर जाए वो आशियाना भी... 

बदन तपे जो कभी थामने वाला हो कोई 
किसी आगोश में होगा मेरा ठिकाना भी.....

न हो ये सोच कर खुश ए मेरे रकीब-ए जाँ !
कभी तो होगा तेरा दिल मेरा ठिकाना भी.....



शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

जिन्दगी तस्वीर या तकदीर.....??




किसी ने कहा है.....                       


"ज़िन्दगी तस्वीर भी है.....
और तकदीर भी...
फर्क तो रंगों का है...
मनचाहे रंगों से बने तो तस्वीर...
और अनचाहे रंगों से बने तो तकदीर...!"
                         

                          लेकिन हमने तो यही जाना है...
                          कि कई बार अनचाहे रंगों से भी 
                          सुन्दर तकदीर बन जाती है.....
                          और मनचाहे रंग भी 
                          गर सलीके से न इस्तेमाल किये जाएँ तो....
                          तस्वीर बदरंग हो जाती है....!!
                          अब क्या कहें ,जनाब !
                          ज़िंदगी क्या है......??
                          तस्वीर या तकदीर....???

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

प्रेम वही है.....



सही मायने में प्रेम वही है.....
जो कहा न जाए...
और सुनने वाला सुन ले,
कभी आँखें से,
तो कभी एक हल्का सा 
स्पर्श ही वो सब कह जाए...
जिसे बिन बोले ही
सुना जाए.....समझा जाए....!
जहाँ न कोई अपेक्षा हो 
और न ही कोई उपेक्षा...
न हो कोई अवहेलना,
और न ही कोई उपालंभ !
प्रेम बस चाहता है सम्मान
एक दूसरे की नज़रों में,
और एक ईमानदार साझेदारी....!
लेकिन हम खुद ही 
न जाने कैसे और कब 
अपनी ही कही 
सारी बातें भूल जाते हैं....
'प्रेम' करने की बातें तो 
बड़े जोर-शोर से करते हैं,
लेकिन उससे जुड़ा सम्मान 
और उसकी मर्यादा भूल जाते हैं,
और मौका मिलते ही 
गैरों के सामने भी  
अपने ही प्रेम की 
सियन उधेड़ने से भी 
बाज़ नहीं आते हैं.....!

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

ख्वाब............





मुस्कुराती आँखों से कोई  ख्वाब छीन लेता है ! 
                                  कसमसाती रातों से कोई नींद भी चुन लेता है !!

                                  महकती  सांसों  में जो गीत गुनगुनाता है !
                                  हौले  से  छू  के मुझे चुपके से जगाता है !!

                                  दिल में जो  रहता है  हर वक़्त  हर लम्हा मेरे !
                                  वो  हकीकत है फिर भी ख्वाबों का हिस्सा मेरे !!

                                  कभी आ जाता  बिन बताये  वो  खयालों में !
                                  लगा  के  चुपके से  जाता  गुलाब  बालों  में !!

                                  महक-महक गई  हैं मेरी बातें जिसकी बातों से !
                                  सुलग सुलग गयीं हैं मेरी रातें जिसकी साँसों से !!

                                  कोई वादा नहीं और वादा खिलाफी  भी नहीं !
                                  वो मेरे पास नहीं...फिर भी...मुझसे दूर नहीं !!