मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

मैं तेरी.....तू मेरा......







हम पे हर बात तेरी अब बेअसर होती है...
तेरे कूचे में  फिर भी  उम्र बसर  होती है....!!

तेरी महफ़िल में यूँ तो आ ही गए हैं हम भी...
अब यहीं होती सुबह.....शाम यहीं होती है.....!!

तेरे नज़दीक रहूँ या न रहूँ मैं....फिर भी...
तेरी हर बात पे अब नज़र मेरी होती है....!!

मेरे कुछ कहने से उनको थी शिकायत कितनी...
मेरी ख़ामोशी भी अब उनको सजा  होती  है....!!

हमारे नाम से भी उनको उज़्र होता था...
हमारे ज़िक्र से अब उनकी सुबह होती है....!!

हमने माना कि उन्हें प्यार नहीं है हमसे...
किस लिए फिर भी उन्हें फिक्र मेरी होती है....!!





शनिवार, 24 नवंबर 2012

नाम.....


  



                      
               तुम भूलते नहीं...मुझे कुछ याद नहीं है

           मैं साथ हूँ तेरे ....तू मेरे साथ नहीं है....!

           बेनाम हो के भी मुझे वो नाम दे गया....

           मैं क्या कहूँ उसे जो कभी साथ नहीं है....!!








सोमवार, 19 नवंबर 2012


अलग अलग मूड में लिखे गए कुछ शेर....
कुछ सही....
कुछ गलत....
आपकी इनायत....
आपकी  नज़र.......






अदा है या मोहब्बत...कैसे पहचानेंगे आप....???
आपने हमको नज़र भर कर कभी देखा नहीं....!!


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परेशानी तुम्हारी हमसे अब.....देखी नहीं जाती.....
चलो हम अपने इस दिल को...अभी समझा ही लेते हैं....!!


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बहुत सी बातें अनकही रह जाती हैं अक्सर 
तुम साथ ही न हुए कभी सुनने के लिए.....!!

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कितने उजाले किये है.....राहों में हमने तेरी 
न दो शाबाशियाँ....न दो.....मगर रुस्वाइयाँ न दो...!!


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यकीं तुम पर मुझको कभी खुद से जियादा था....
मगर कम्बखत दिल है ये...मानता ही नहीं...!!


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नाकामियों का किस्सा छेड़ा तो था तुमने 
और अब तुम हमीं पर तोहमत लगाते हो....!!


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तोहमतें लगाने की तो तुम्हारी पुरानी आदत है....
अब कुछ नया तरीका आजमाओ तो...हम बदनाम हो जाएँ...!!


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नादाँ थे हम ही.....जो चाहां था उसे बड़ी शिद्दत से 
अब उसकी किस्मत ही थी खराब...तो क्या कीजे...!!


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दिल की लगी कुछ ऐसे...आकर लगी है दिल पर...
दिल हो गया उसी का...की दिल्लगी थी जिसने...!!


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किसी ने दी थी दुहाई जो बात की न थी मैंने... 
आज जब बात वो हुई तो खुद ही भूल गया....


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अपने दामन में भी खुशियाँ कम हैं यूँ तो...
फिर भी देने को मेरे दोस्त कुछ कमी न हुई...!!

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यूँ तो काफी मिर्च-मसाले हैं इस जिंदगी में....
जायका फिर भी कई बार फीका ही लगता है...!


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होता है बिना रूह के जिस्म भी...
और मुकम्मल भी खूब ही होता..
रूह भी बिना जिस्म के जिंदा रहती है....
काश कि आपने मुझे देखा होता......!!








रविवार, 11 नवंबर 2012

क्या बात है.......




                                   रौशन-ए-गुल हो तेरे आने से तो क्या बात है...
                                   हो वही बात ...थी जो तेरे साथ तो ...क्या बात है..!

                                   तेरी एक मुस्कुराह्ट पर ही मर मिटे थे हम...
                                   तू जो मुस्कुराये कभी फिर से तो क्या बात है...!

                                   तू रहता है हरदम साये की तरह मेरे साथ
                                   जिस्म तेरा न भी हो मेरे साथ तो क्या बात है..!

                                  वो कहता तो था खुद को कभी तकदीर मेरी...
                                  बन गया खुद ही वो तस्वीर तो क्या बात है...!






रविवार, 4 नवंबर 2012

तो क्या कीजे......???




मर्ज़ जब हद से गुजर जाये तो क्या कीजे...
दवा  बेकार हो जाये तो क्या कीजे....!!

कभी देखा था प्यार से उसने हमको भी 
अब नज़र और कहीं जाये तो क्या कीजे !!

बात  का तो कोई  भी मतलब  न  था मेरी....
अपनी ही बात से मुकर जाये वो तो क्या कीजे !!

मैं चली थी तो साथ साथ उसके मंजिल को 
वो मुड़ा गया कहीं बीच रास्ते तो क्या कीजे !!

उम्र भर साथ किसी का हो ज़रूरी तो नहीं
बस एक अपना ही हो साथ तो क्या कीजे !!

मैंने उसको कभी कुछ भी न कहा था लेकिन ....
उसको मुझसे हैं फिर भी मलाल तो क्या कीजे !!





बुधवार, 17 अक्तूबर 2012

ख्वाब .... देखिये.... कुछ इस तरह.....!!









देखते हैं वो ख्वाब....फिर भी यकीं नहीं होता 
सोते और जागते....ख्वाबों से वो घबराते हैं...!

हम उनको कैसे इस बात का दिलायें यकीं 
हम अगर जिंदा रहेंगे तो...ख्वाब आते हैं...!

न उन्हें खुद पे यकीं...न ही अपने ख्वाबों पे 
पूरे न होंगे ख्वाब......आप  जो  घबराते  हैं  !

ख्वाबों पे भी कभी  'पूनम' किसी का बस है चला 
बंद  हो या हो खुली आँख.....ये आ ही जाते हैं...!!



बस अभी अभी...
***पूनम सिन्हा***






शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

राब्ता.......








चलो अच्छा हुआ अपनों में  कोई गैर तो निकला
हमीं ने अब  तलक  रखा हुआ था  राब्ता उससे !

ज़माने का चलन देखा....वो गैरों सा था जो अपना   
संभाला था बहुत रिश्ता..मगर संभला न वो मुझसे  !

कहा उसने न जाने क्या, कि दुश्मन हो गयी दुनिया
न दुनिया रह गयी अपनी...न ही रिश्ता कोई उससे !

न  था काबिल मेरे वो शख्स  खुद भी बदगुमां सा था 

जुबान जब भी खुली उसकी,कहा कुछ बेवजह मुझसे  !

खिले अब फूल गुलशन में वो मेरे नाम सब अपने 
जो दी थी बद्दुआ उसने...लगी वो बन दुआ मुझसे  !







बुधवार, 19 सितंबर 2012

लफ्ज़ खो जाते हैं.......






लफ्ज़ खो जाते  हैं  खामोश जुबां  होती  है 
लाये ज़ज्बात कहाँ...आँख मिलाने के लिए !

हम तो समझे थे कि हम ही हैं उस्ताद बड़े 
यहाँ ग़ालिब हैं बहुत शेर सुनाने के लिए !

चल सको तो ...ज़रा सी देर मेरे साथ चलो
दिल की कुछ बात कहें तुमको रुलाने के लिए !

दिल पे तेरे मेरे दिल ने बहुत दस्तक दी थी
उठ सका तू न मगर मुझको मनाने के लिए !

बदगुमानी...बदजुबानी  नहीं  सीखी जाती 
एक मौका दे जमाना तो  बताने  के लिए !

राह  में  दूर  तलक रौशनी  ही  रौशनी  है
कहाँ है आँख उसे देखने..दिखाने के लिए !





शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

रात की सियाही में ......










रात की सियाही में जब चंद ख्वाब जगते हैं...
हम खोजते हैं उनको,वो तलाश अपनी करते हैं..!


जिंदगी बुनती है कुछ कच्चे पक्के से धागों को
हम बस उन्हीं से एक सुकूं की चादर बुनते हैं...!


आ ही जायेगी नींद हमें भी और उनको भी 
अभी तलक जो हमारे साथ साथ ज
गते हैं...!




रहेंगे दूर कब तलक वो हमसे या रब
तन्हाई में भी जो साथ साथ चलते हैं.....!!















शनिवार, 8 सितंबर 2012

मुझे इक गीत चुनना है............




                                                     मुझे आना है तुम तक
                                                     नज़र फिर भी टिकी हैं...
                                                     आओगे तुम जिस राह पर....! 


                                                     मुझे इक गीत चुनना है
                                                     किसी होठों की लाली से 
                                                     यूँ ही अपनी  हथेली पर...!

                                                    मुझे इक ख्व्वाब लिखना है...
                                                    देखा सा अनदेखा सा...
                                                    किसी पलकों की चिलमन पर... !

                                                    बहारों से यूँ ही कुछ 
                                                    बात करनी है तुम्हारी...
                                                    मगर हैरान हूँ किस बात पर...!


    
बस अभी अभी....
***पूनम सिन्हा***


शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

मेरी आँख का काजल....











हमारी आँख का काजल 
तुम्हारी आँख में हो...
ये सोच कर हमने 
अपनी आँखों में 
ढेर सा काजल डाला था !
नहीं ये मालूम था कि 
तुम मुझे इतना रुलाओगे ,
मेरे आँखों के काजल को 
यूँ ही बेबात बहाओगे !
यूँ तो रो रो के धुल गई 
ये आँखे मेरी...!
लेकिन वो काजल भी बह गया 
जो मैं तुम्हारी आँखों में 
लगाना चाहती थी.....
बस...
मुझे उसी का अफ़सोस ज्यादा है !!







सोमवार, 27 अगस्त 2012

न तुम समझे न समझे वो......







न तुम समझे न समझे वो ........


यही कहते थे कब से हम ..न तुम समझे न समझे वो
हमारा  दिल हमारा है... न  तुम  समझे  न समझे  वो !

हमारे  दिल तलक जाती थी  जो  राहें  मोड दीं तुमने
हुई तकलीफ अब तुमको...न तुम समझे न समझे वो !

इशारे कितने कर कर थक गए हम हो गए नाशाद
तेरी  ही  बेरुखी  थी  ये.....न तुम समझे न समझे वो !

हमारे  दिल  में अब  हम  हैं  नहीं  दूजा  यहाँ  कोई
मुबारक तुमको दिल तेरा...न तुम समझे न समझे वो !

तुम्हें  गैरों  से  फुर्सत कब....हमें अपने रकीबों  से
तेरी ही ये इनायत है.....न तुम समझे न समझे वो !


पटना.........
२६-०८-२०१२ 






सोमवार, 13 अगस्त 2012

यादों के खत.....







यादों के खत.....

                                          
                          किसी की यादों का अस्तित्व 
                              केवल खतों तक ही सीमित नहीं रहता...!
                              किसी की याद को झुठला देने से....
                              खतों को जला देने से 
                              उनसे निजात पाना 
                              और भी मुश्किल हो जाता है...!
                              फिर उसके लिए 
                              और भी मुश्किल होता है.....
                              जिसके लिए ये यादें ही 
                              जिंदगी बन गयी हों...!





शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

Oscar Wilde.............


Today,I want to share these lines...
With Someone,Sometimes,Somewhere...it's true...




Yet each man kills the thing he loves,
By each let this be heard,
Some do it with a bitter look,
Some with a flattering word,
The coward does it with a kiss,
The brave man with a sword!
Some kill their love when they are young,
And some when they are old;
Some strangle with the hands of Lust,
Some with the hands of Gold:
The kindest use a knife, because
The dead so soon grow cold.
Some love too little, some too long,
Some sell, and others buy;
Some do the deed with many tears,
And some without a sigh:
For each man kills the thing he loves,
Yet each man does not die.”
.......................
                   ― Oscar Wilde 



रविवार, 5 अगस्त 2012

आगे आगे देखिये होता है क्या ....







इक नशा सा छा रहा है इन दिनों....!
दिल को कोई भा रहा है इन दिनों..!

गा रहा था कल जो उल्फत पर गज़ल...
खुद में डूबा जा रहा है इन दिनों...!

प्यार में डूबी हुई वो इक निग़ह...
दिल मचलता जा रहा है इन दिनों...!

तेरी सूरत में न जाने क्या मिला..
वो परेशां हो रहा है इन दिनों...!

पास मेरे आये तुम कुछ इस तरह..
चाँद भी शरमा रहा है इन दिनों...!

आगे आगे देखिये होता है क्या..
तारे दिन में गिन रहा है इन दिनों...!


***पूनम***
5 अगस्त,2012


शुक्रवार, 3 अगस्त 2012

इन्तहा......

                                              


                                              
                                              देखना उसको ज़रूरी तो नहीं
                                              वो तो मौजूद कहीं है मुझमें ,
                                                   गुफ्तगू उससे की नहीं जाती
                                                   बन के साया जो रहा है मुझमें !
                                              इश्क की ये भी इन्तहा ही हुई 

                                              तन्हा हो के भी वो रहा मुझमें ,
                                                   तेरी तन्हाइयों में साथ रहूँ
                                                   ऐसी क्या कोई बात है मुझमें !






मंगलवार, 24 जुलाई 2012

दीवाने हम......




                                                      जिंदगी तुझको .....
                                    कहाँ मिलेंगे हमसे दीवाने !
                                    कभी दो-चार पहर बैठ 
                                    मेरे पास भी तू !!
                                    कभी कुछ कह लें...
                                    कभी कुछ सुन लें ,    
                                    कभी मुस्कुराएँ...
                                    कभी चुप रह लें ,
                                    बस यूँ ही कभी 
                                    थोड़ा–थोड़ा जी लें...
                                    ज्यादा सा मर लें !!!










शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

बस एक ख्वाब.....






चलो,आज ख्वाबों में बादलों की पतंग बनाये
आसमां लगे भरा-भरा कुछ इस तरह उडाएं....!

कभी खींच कर एक बादल का टुकड़ा
अपने घर की किसी दीवार पे सजाएं....!

कभी खोल दे खिड़कियाँ सारी घर की
फलक से धनक को ज़मीन पर उतारें....!

पहन कर कभी धानी चूनर तुम्हारी
छनन छन,छनन अपनी पायल बजाये...!

वो उड़ता सा आँचल,वो बिखरी सी जुल्फ़ें 
वो गुनगुन सी बदरी,वो रिमझिम फुहारें...! 

वो गालों की लाली,वो माथे के बिंदिया
इन आँखों में काजल सा तुमको सजाएं...!






सोमवार, 18 जून 2012

बादल पहली बारिश का.......






उड़ता हुआ एक छोटा सा बादल
धीरे से नीचे उतर आया
जब मेरे गालों को छुआ उसने 
तो एहसास हुआ मुझे कि..
वो मेरे करीब है...!
घबरा के मैंने आस-पास देखा 
फिर देखा आसमान में
उसके जैसे न जाने 
कितने नटखट बादल 
हंस रहे थे मुझ पर,
मेरी हैरानी पर....!
एक ने आँखें झपकायीं,
एक ने मुंह को गोल किया
और एक सीटी मारी.....
तो ढेर सारी बूँदें टपक पड़ी 
खिलखिलाकर मुझ पर 
मैं तो बस सराबोर ही हो गई.....!
बाकी सब हंस-हंस कर 
लोटपोट हो गए
मेरी इस बेचारगी पर !
मैंने आँख तरेरी 
और उस छोटे से 
बादल  को धर दबोचा...
वह पहले तो कसमसाया
फिर मुस्कराता हुआ
मेरे हाथों से फिसल कर 
अपने साथियों से जा मिला 
आसमान में......!