गुरुवार, 28 जुलाई 2011





कौन हो तुम ?
मेरी आँखों में
जो आंसू बन के
झिलमिलाते हो !
मेरे होंठों पर
मुस्कान बन के
बिखर जाते हो !
मेरे दिल की
धड़कन के साथ
पल-पल धड़कते हो !
फूलों में मेरा हाथ
लगते ही खुशबू बन
बिखर-बिखर जाते हो !
ठंडी हवा के साथ
मेरे तन को एक
सिहरन दे जाते हो !
रुदन के साथ
मेरे दिल में
उतर जाते हो !
मेरी हंसी में तारों से 
चमक जाते हो !
मेरे मन में 
मनमोहन से 
हर पल 
मुस्कराते हो !
कौन हो तुम ??
कौन हो ???


रविवार, 10 जुलाई 2011

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
चाँद और तुम.....
 
 
तारों से भरे
नीले आसमान के नीचे
खुली छत पर
चांदनी की बिछी
सफ़ेद बेदाग़ चादर पर
बस यूँ ही
बैठे-बैठे.....
देर तक
तुम्हारे बालों को
अपने हाथों से सहलाते हुए
मेरा जी चाहता है...
तुमसे ढेर सी बातें करने का
कभी-कभी.....!!