मंगलवार, 21 जून 2011

खामोशियाँ........



जब मिले हम
कुछ न कुछ
कहते रहे
सुनते रहे,
हाथ में
बस हाथ थामे
हम यूँ ही बैठे रहे !
क्या कहा तुमने ?
सुना मैंने ?
ये जानूं न !
शब्द यूँ ही...
निरर्थक बहते रहे !
नयन से
नयनों की भाषा
कह रही थी कुछ !
अधर से
अधरों के कम्पन
सुन रहे थे कुछ !
धड़कने दिल की
न जाने थम गयीं क्यूँ ?
मूँद कर नयनों को
काँधे सिर धरा क्यूँ ?
समझ पायी
इस मिलन को
मैं आज तक न !
क्यूँ करूँ स्नेह इतना
मैं जान पायी न !
धड़कने
बस धड़कनों को
तोलती हैं,
कुछ कहो न आज बस
क्योंकि तुम्हारी
खामोशियाँ ही बोलती हैं....!!

सोमवार, 6 जून 2011


 

बसेरा......


प्रस्फुटित हों शब्द तुझसे,
तो वही है गीत मेरा....!!
गुनगुनाये तू जो सुर में,
है वही संगीत मेरा....!!
तू जहाँ ठहरा वहीँ पर,
बन गया गंतव्य मेरा....!!
तू जहाँ रहता है मन में,
है वहीँ मेरा बसेरा....!!


शनिवार, 4 जून 2011

 
 
तुम और  मैं...
 
तुम क्या हो मेरे ?
ये मैं ही जानती हूँ...!
मैं क्या हूँ ?
कुछ भी तो नहीं....
मैं खुद को भी तो
बस....
तुम्हारे नाम से ही जानती हूँ !!

बुधवार, 1 जून 2011





तेरे आने की खबर....



तेरे आने की खबर
कुछ इस तरह आयी...
जैसे उगती है सुबह की
मुलायम सुनहरी धूप,
जैसे खिलती है कोई
मासूम जूही की कली,
जैसे गुनगुनाते हैं
पंछी नया गीत कोई,
जैसे दूर तक फ़ैली
हरी-हरी दूब पर
शबनम की बूँदें,
जैसे दूर
मंदिर से आती
घंटी की आवाज़,
और घुल जाती है
खुशबू फिज़ा में...
कि....
तुम आने वाले हो !!