अपनी ही श्रद्धांजलि........
हमने हमेशा तभी कुछ कहा..
जब कोई सुनने वाला हो सामने...!
हमने तभी कुछ किया
जब देखने वाला हो कोई सामने...!!
क्या कभी खुद से भी कुछ कहा ऐसा..
जो अभी तक नहीं कहा हो किसी से..?
क्या कभी कुछ ऐसा भी किया
जो किया हो केवल अपनी ख़ुशी से..?
हम करते हैं
कुछ भी तो
दिखाते हैं...
बताते हैं...
जिनके लिए करते है,
उनको बताते हैं
साथ में सारी दुनिया को बताते हैं !
राजा हरिश्चंद्र होने का
तमगा खुद अपने हाथों से लगते हैं !!
कभी-कभी
जीसस की तरह सूली भी
खुद को ही लगाते हैं...
एक तरह से खुद को
श्रद्धांजलि ही दे डालते हैं !
और फिर लोगों को
ये भी जताते हैं कि...
हम शहीद हो गए उनके लिए..!!